विवरण:
श्री खेतेश्वर भवन (हॉल एवं धर्मशाला), आसोतरा
पद का नाम: | कंप्यूटर ओपेरटर |
योग्यता: | BCA, MCA, PGDCA, Bsc IT या कोई अन्य कंप्यूटर डिग्री/प्रमाणपत्र। |
अनुभव: | 2 से 5 वर्ष |
संपर्क: | श्री रामसिंहजी मोटूसिंहजी राजपुरोहित (+91 98294 64887) |
श्री खेतारामजी महाराज के ब्रह्मलीन होने (वि.स. 2041 वैशाख शुक्ला – षष्ठी सोमवार दि. 7 मई 1984 समय 12.36 दोपहर) केे बाद ही वि.सं. 2042 वैशाख सुदी नवमी सोमवार दिनांक 16 मई 1994 को वैकुण्टधाम की नींव रखी गयी थी तथा श्री खेतेश्वर ‘‘वैकुण्टधाम मन्दिर’’ की प्राण प्रतिष्ठा वि.सं. 2050 वैशाख शुक्ला षष्ठी सोमवार दिनांक 16 मई 1994 को की गयी। मन्दिर के अन्दर ही खेतेश्वर दाता की अखण्ड ज्योति मंदिर प्राण प्रतिष्ठा से ही लगातार प्रजवलित है। जो अन्य भक्त भाविकों के लिए कपाट बंद ही रहता है बाहर कपाट के अन्दर से अखण्ड ज्योति और श्री खेतेश्वर दाता के दर्शन हो जाते है। मंदिर के पीछे सटा हुआ धूंणा भी है जिसमें गोटा हवन किया जाता है तथा सुबह-शाम आरती भी होती है। धुणा के पास ही खेतारामजी महाराज की जो कार हुआ करती थी जिससे दूर-दराज खेतेश्वर दाता का आना-जाना होता था। वो भी दर्शनीय है।
शिवधुणा ब्रह्माजी मंदिर से पहले 1962 से ही अस्तित्व में है जिसमें भक्त-भाविक गोला हवन करते है और परिक्रमा लगाते है। खेतारामजी महाराज को जो तप विधान था वो इसी स्थान पर बैठकर ध्यान लगाते थे तथा साधना करते थे। खेतारामजी महाराज के ब्रह्मलीन होने बाद उनकी चरण पादुका भी इसी धूंणे में रखी
वैकुण्ठ धाम बगीचा वह स्वर्गीय प्रकृति का आदर्श रूप है,जहाँ प्रेम, शांति और सुख की अनुभूति होती है। सुंदर फूलों का खुशबूमय वातावरण, आनंद की अपार विभूति है।तिपूर्ण वातावरण में स्थित यह बगीचा, आत्मा को प्रशांति और संतुष्टि प्रदान करता है।